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Rath yatra 2025

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जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 | पूरी जगन्नाथ यात्रा की तारीख, कथा और महत्व

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 | पूरी जगन्नाथ रथ यात्रा की तारीख, कथा और महत्व

जय जगन्नाथ! जगन्नाथ रथ यात्रा हर वर्ष ओडिशा के पुरी शहर में भव्य रूप से मनाई जाती है। यह भारत के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों की भव्य रथ यात्रा निकलती है, जिसे देखने लाखों श्रद्धालु पुरी में इकट्ठा होते हैं।


🌸 Jagannath Rath Yatra 2025 in Hindi – जगन्नाथ रथ यात्रा 2025

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का आयोजन हर साल की तरह बड़े उत्साह के साथ किया जाएगा। यह उत्सव भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के तीन स्वरूपों – जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की यात्रा के रूप में मनाया जाता है। भक्तजन इस दिन रथ खींचने को अत्यंत शुभ मानते हैं।

📅 Jagannath Rath Yatra 2025 Date – जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की तिथि

वर्ष 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा 28 जून 2025 (शनिवार) को आयोजित की जाएगी। यह दिन आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पड़ता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ का रथ गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करता है।

🚩 Puri Jagannath Rath Yatra 2025 – पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2025

पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में मनाई जाने वाली सबसे प्रसिद्ध यात्रा है। यहां विशालकाय तीन रथ बनाए जाते हैं – नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलभद्र), और दर्पदलन (सुभद्रा)। हर रथ को हजारों भक्त मिलकर खींचते हैं।

📖 Jagannath Rath Yatra Story – जगन्नाथ रथ यात्रा की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा माता द्वारका से अपने मायके – गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इस यात्रा को ही “रथ यात्रा” कहा जाता है। 9 दिन बाद वे वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं, जिसे “बहुदा यात्रा” कहा जाता है।

🎊 Jagannath Rath Yatra Wishes – जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं

जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर भक्त एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं –

  • “जय जगन्नाथ! भगवान जगन्नाथ आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाएं।”
  • “रथ यात्रा की शुभकामनाएं! भगवान जगन्नाथ सदा आपका कल्याण करें।”
  • “जय श्रीकृष्ण, जय बलभद्र, जय सुभद्रा माता!”

🛕 Jagannath Rath Yatra Bahuda Yatra – बहुदा यात्रा 2025

रथ यात्रा समाप्त होने के 9वें दिन बहुदा यात्रा मनाई जाती है। यह वापसी यात्रा होती है जब भगवान अपने रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर से पुरी जगन्नाथ मंदिर वापस आते हैं। वर्ष 2025 में बहुदा यात्रा 6 जुलाई 2025 को होगी।

📆 Jagannath Rath Yatra Kab Hai – जगन्नाथ रथ यात्रा कब है?

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 में 28 जून, शनिवार को है। इस दिन पूरे देश में विशेष भजन, पूजा और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं।

🕉️ Jay Jagannath Rath Yatra – जय जगन्नाथ रथ यात्रा

जय जगन्नाथ” इस यात्रा का सबसे पवित्र उद्घोष है। भक्तजन इस नारे के साथ भगवान का रथ खींचते हैं। यह यात्रा भक्ति, प्रेम और एकता का प्रतीक है।

📅 Jagannath Rath Yatra 2026 – जगन्नाथ रथ यात्रा 2026

वर्ष 2026 में भी जगन्नाथ रथ यात्रा भव्य रूप से आयोजित की जाएगी।

📅 Jagannath Rath Yatra 2026 Date – जगन्नाथ रथ यात्रा 2026 की तिथि

वर्ष 2026 में जगन्नाथ रथ यात्रा 17 जुलाई 2026 (शुक्रवार) को होगी। यह दिन भी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर पड़ेगा।

🏰 Puri Jagannath Rath Yatra 2026 Date – पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2026 की तारीख

पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2026 में 17 जुलाई 2026 को निकाली जाएगी। इस दिन लाखों भक्त पुरी में भगवान जगन्नाथ के रथ को देखने और खींचने के लिए पहुंचेंगे।


🔔 निष्कर्ष:

जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भक्ति, समर्पण और एकता का उत्सव है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में भगवान के मार्ग पर चलना ही सच्चा धर्म है।

जय जगन्नाथ!

Published by: PK DIGITAL ONLINE SERVICES

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Last Updated: June 2025

भगवान जगन्नाथ की दिव्य रथ यात्रा 2025 एक अद्भुत, आध्यात्मिक और भव्य उत्सव होगी, जहाँ भक्तों का समुद्र भगवान के रथ को खींचकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रमाण देगा। यह यात्रा न केवल धर्म और आस्था का प्रतीक है, बल्कि समानता और एकता का भी संदेश देती है। पुरी की पावन धरती पर यह पर्व भक्तों के हृदय में अमिट छाप छोड़ेगा। जय जगन्नाथ! 

इस यात्रा की महिमा को शब्दों में पूरी तरह व्यक्त कर पाना मुश्किल है, क्योंकि यह अनुभव ही है जो हर भक्त को परम आनंद और शांति प्रदान करता है। 🙏

🙏 पुरी (ओडिशा) – दुखद भगदड़ और भीड़ का बढ़ना 500 से अधिक भक्त घायल देखे नीचे जाकर पूरी जानकारी

Jagannath Rath Yatra 2025: पूरी जानकारी, तिथि, इतिहास और महत्व

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Date: June 2025

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 कब है?

जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी शहर में मनाई जाती है। वर्ष 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा 29 जून 2025 (रविवार) को निकाली जाएगी। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के भव्य रथों पर सवार होकर होती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल ओडिशा के पुरी में आयोजित किया जाता है। यह भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यात्रा का प्रतीक है। 2025 में यह पर्व और भी विशेष होने वाला है। आइए जानते हैं Jagannath Rath Yatra 2025 की तिथि, इतिहास और पूरी जानकारी।

रथ यात्रा 2025 कब से और कहां से शुरू होगी?

  • स्थान: श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा
  • यात्रा की शुरुआत: 29 जून 2025 को श्री मंदिर से
  • यात्रा की समाप्ति: यात्रा कुल 9 दिनों तक चलेगी और भगवान जगन्नाथ 7 जुलाई 2025 को श्री मंदिर में वापस लौटेंगे। इसे “बहुड़ा यात्रा” कहा जाता है।
  • Jagannath Rath Yatra 2025 Date:29 जुलाई 2025 (रविवार)
  • स्थान:पुरी, ओडिशा
  • यात्रा प्रारंभ:जगन्नाथ मंदिर, पुरी से
  • यात्रा समाप्त:गुंडिचा मंदिर
  • यात्रा अवधि:9 दिन (जुलाई 2025)
  • वापसी यात्रा (बहुदा यात्रा):15 जुलाई 2025

अब तक कितने श्रद्धालु आते हैं?

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है और हर साल देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।

  • 2024 में: लगभग 15-20 लाख श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल हुए थे।
  • 2025 में: अनुमान है कि 20 लाख से भी अधिक श्रद्धालु पुरी पहुंच सकते हैं।
    यह यात्रा पुरी के इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक मानी जाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास

  • प्रारंभ: माना जाता है कि रथ यात्रा की परंपरा 12वीं सदी से चली आ रही है।
  • उद्देश्य: भगवान जगन्नाथ साल में एक बार अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने भाई और बहन के साथ अपने मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) जाते हैं।
  • रथ यात्रा की खासियत:
    • तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं:
      • भगवान जगन्नाथ का रथ: नंदिघोष (16 पहिए)
      • बलभद्र का रथ: तलध्वज (14 पहिए)
      • सुभद्रा का रथ: दर्पदलन (12 पहिए)
    • हर रथ को भक्तजन रस्सियों से खींचते हैं।
    • रथ यात्रा के दौरान ‘चेरा पहरा’ की रस्म पूरी की जाती है जिसमें पुरी के राजा स्वयं रथों को झाड़ू लगाते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास

जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास 12वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने करवाया था। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा हर साल अपनी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) जाते हैं और 9 दिन बाद वापस लौटते हैं।

इस यात्रा का उल्लेख स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में भी मिलता है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से निरंतर चली आ रही है और हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  • रथ निर्माण: हर साल नए रथ लकड़ी से बनाए जाते हैं।
  • श्री मंदिर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है लेकिन रथ यात्रा में सभी धर्मों के लोग भाग ले सकते हैं।
  • टीवी ऑनलाइन लाइव: रथ यात्रा का सीधा प्रसारण टीवी और विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर किया जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह भगवान के घर से बाहर आने का पर्व है।
  • इसे “विश्व का सबसे बड़ा उत्सव” भी कहा जाता है।
  • रथ यात्रा में भाग लेने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान जगन्नाथ के दर्शन से मोक्ष का मार्ग मिलता है।

रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ का मार्ग

रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर (मौसी घर) तक जाती है। यह दूरी लगभग 3 किलोमीटर की है। 9 दिन बाद भगवान वापस अपने मंदिर लौटते हैं जिसे बहुदा यात्रा कहा जाता है।

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तीन रथों का विवरण

  • जगन्नाथ जी का रथ:नंदीघोष (लाल और पीले रंग का), 45 फीट ऊंचा, 16 पहियों वाला
  • बलभद्र जी का रथ:तालध्वज (नीले और लाल रंग का), 44 फीट ऊंचा, 14 पहियों वाला
  • सुभद्रा जी का रथ:देवदलन (लाल और काले रंग का), 43 फीट ऊंचा, 12 पहियों वाला

2025 में अपेक्षित श्रद्धालुओं की संख्या

पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, 2025 की जगन्नाथ रथ यात्रा में लगभग 15-20 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। कोविड-19 के बाद यह संख्या लगातार बढ़ रही है। 2024 में लगभग 9 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा में भाग लिया था।

जगन्नाथ रथ यात्रा का धार्मिक महत्व

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त इस रथ यात्रा में भाग लेते हैं और रथ को खींचते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह यात्रा सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है क्योंकि इसमें सभी जाति और वर्ग के लोग समान रूप से भाग लेते हैं।

एक विशेष बात यह है कि इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई-बहन भी शामिल होते हैं जो पारिवारिक एकता का संदेश देता है।

Jagannath Rath Yatra 2025 की तैयारियां

पुरी में यात्रा की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं। रथों का निर्माण नए नीम की लकड़ी से किया जाता है जिस पर कलाकार पारंपरिक डिजाइन बनाते हैं। सुरक्षा के लिए ओडिशा सरकार हर साल विशेष इंतजाम करती है।

2025 की यात्रा के लिए विशेष सीटीएफवी कैमरे, ड्रोन निगरानी और क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम लगाया जाएगा। ऑनलाइन पास सिस्टम के जरिए यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।

निष्कर्ष

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और आस्था का सबसे बड़ा उत्सव है। अगर आप भगवान जगन्नाथ के सच्चे भक्त हैं, तो इस साल पुरी की यात्रा जरूर करें और इस पावन पर्व का हिस्सा बनें।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: कुछ सुंदर बातें 🙏

  1. द्वितीया तिथि प्रारंभ: 26 जून 2025 को दोपहर 1:24 बजे द्वितीया तिथि समाप्त: 27 जून 2025 को सुबह 11:19 बजे, रथ यात्रा 2025: नौ दिवसीय उत्सव का पूरा कार्यक्रम अनवसर 13 जून से 26 जून 2025 तक मनाया जाएगा। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने भव्य रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे।
  2. अद्भुत रथ निर्माण – हर साल नए रथ बनाए जाते हैं, जिन्हें देखना अपने आप में एक आश्चर्य है।

   – जगन्नाथजी का रथ (नंदीघोष) – लाल-पीले रंग का, 45 फीट ऊँचा, 16 पहियों वाला। 

   – बलरामजी का रथ (तालध्वज) – नीले-लाल रंग का, 44 फीट ऊँचा, 14 पहियों वाला। 

   – सुभद्राजी का रथ (देवदलन) – लाल-काले रंग का, 43 फीट ऊँचा, 12 पहियों वाला। 

  1. सुहावना मौसम – जुलाई में पुरी का मौसम हल्की बारिश और ठंडी हवाओं के साथ यात्रा को और भी मनोरम बना देता है।
  2. चक्र दर्शन का महत्व – मान्यता है कि जो भक्त भगवान जगन्नाथ के रथ के पहियों के नीचे आता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. गुंडिचा मंदिर में विश्राम – भगवान 9 दिन तक गुंडिचा मंदिर (मौसी घर) में रहते हैं, जहाँ उन्हें भोग लगाया जाता है और भक्तों को दर्शन का सौभाग्य मिलता है।
  4. बहुदा यात्रा (वापसी) – 10वें दिन (11 जुलाई 2025) भगवान वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं, जिसे बहुदा यात्रा कहते हैं।
  5. महाप्रसाद का आशीर्वाद – पुरी का प्रसाद (खिचड़ी, पूड़ी, दाल आदि) बिना किसी भेदभाव के सभी को मिलता है, जो अत्यंत पवित्र माना जाता है।
  6. भक्तों की भीड़ और उत्साह – लाखों श्रद्धालु रथ खींचने के लिए आतुर रहते हैं, यह दृश्य अविस्मरणीय होता है।

“जय जगन्नाथ! इस पावन यात्रा में भगवान की कृपा सभी पर बनी रहे।” 🌺

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PK Digital Online Services की तरफ से आप सभी को Jagannath Rath Yatra 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं। हम आशा करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

पुरी में 2025 की जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान लोगों की उपस्थिति पर नवीनतम जानकारी

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और जिला अधिकारियों के अनुसार, उत्सव के पहले दो दिनों में अनुमानित 1 मिलियन (10 लाख) श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

शुरुआत में उत्सव आयोजकों को उम्मीद थी कि शुरुआती दिनों में लगभग 1.5 मिलियन (15 लाख) तीर्थयात्री पुरी आएंगे, जिसके कारण 10,000 सुरक्षा कर्मियों और AI-संचालित निगरानी प्रणालियों की तैनाती की गई।

अकेले शुरुआती दिन, सूत्रों ने बताया कि “गुरुवार शाम तक लगभग एक लाख तीर्थयात्री पहले ही आ चुके थे”, जिससे बाद में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि की संभावना बन गई।

जगन्नाथ रथयात्रा (जगन्नाथ यात्रा) पर आज तक के नवीनतम अपडेट इस प्रकार हैं

🙏 पुरी (ओडिशा) – दुखद भगदड़ और भीड़ का बढ़ना

गुंडिचा मंदिर में भगदड़: आज सुबह (29 जून, 2025) रथ यात्रा के दौरान पुरी में गुंडिचा मंदिर के पास सरधाबली में भगदड़ मच गई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई – जिनकी पहचान प्रभाती दास, बसंती साहू और प्रेमकांत मोहंती के रूप में हुई – और 6 लोग घायल हो गए।

500 से अधिक भक्त घायल: 27 जून को भगवान बलभद्र के रथ को खींचने के दौरान, भारी भीड़ के कारण 500 से अधिक भक्त घायल हो गए, जिनमें से कई भीड़ और गर्मी के कारण बेहोश हो गए।

मेडिकल इमरजेंसी: लगभग 625 लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता थी, संभवतः अत्यधिक भीड़ और उच्च तापमान के कारण।

भारी सुरक्षा व्यवस्था: ओडिशा सरकार ने भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए AI-सहायता प्राप्त CCTV निगरानी के साथ लगभग 10,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया।

📈 राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

लॉजिस्टिक्स आलोचना: उत्सव के कई दिनों तक जारी रहने और शुरुआती रोक (जिसके कारण रथ यात्रा में देरी हुई) ने राजनीतिक आलोचना को जन्म दिया है। पूर्व सीएम नवीन पटनायक ने जवाबदेही की मांग की, जबकि मौजूदा अधिकारियों ने इसे नियमित बताया।

आपातकालीन उपाय लागू किए गए: भीड़ बढ़ने और घायल होने के जवाब में, अधिकारियों ने स्वास्थ्य सेवा प्रावधानों और आपातकालीन प्रोटोकॉल को बढ़ा दिया है।

🌟 दीघा (पश्चिम बंगाल) – नया जगन्नाथ मंदिर

उद्घाटन समारोह: 27 जून को, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दीघा में नए जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया और वहां पहली रथ यात्रा का नेतृत्व किया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपस्थित लोगों सहित हजारों लोग शामिल हुए । विरासत पर बहस: पत्रकार राजदीप सरदेसाई की दीघा के बारे में टिप्पणी कि यह रथ यात्रा का “एक और पता” बन गया है, विवाद को जन्म दे रही है, जिसके कारण माफ़ी की मांग की जा रही है और इस बात पर बहस हो रही है कि क्या दीघा पुरी की सदियों पुरानी परंपरा की आध्यात्मिक वैधता को साझा कर सकता है।

🎉 सकारात्मक क्षण और विकास

कोटिया की पहली रथ यात्रा: ओडिशा के कोटिया गांव ने 28 जून को अपनी पहली रथ यात्रा का अनुभव किया, जिसमें आदिवासी और राज्य के नेता शामिल हुए। यह कार्यक्रम विकास योजनाओं की घोषणा करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम आया।

भक्तिपूर्ण कहानियाँ: कैंसर से पीड़ित गजेंद्र प्रसाद साहू लगातार चौथे साल पुरी के ग्रैंड रोड को उत्सव के लिए चित्रित करके प्रेरणा दे रहे हैं, जो आशा और आध्यात्मिक पुनरुत्थान का प्रतीक है।

शहरी अनुकूलन: भुवनेश्वर में, बढ़ते बुनियादी ढांचे ने अधिकारियों को नए फ्लाईओवर और बिजली लाइनों को नेविगेट करने के लिए औपचारिक रथों की ऊंचाई 2-3 फीट कम करने के लिए प्रेरित किया।

🌐 सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मुख्य अंश

सालाबेगा की विरासत: भगवान जगन्नाथ के एक पूजनीय मुस्लिम भक्त सालाबेगा की कहानी, जिसका जुलूस में स्थान आज भी सम्मानित है, इस वर्ष व्यापक रूप से साझा की गई और मनाई गई।

पारंपरिक अनुष्ठानों का सम्मान: प्राचीन “छेरा पहानरा” समारोह – जिसमें गजपति राजा सोने की झाड़ू से रथ पथ को साफ करते हैं – पुरी और दीघा दोनों में पूरी श्रद्धा के साथ हुआ।

🕊️ सारांश

रथ यात्रा (27 जून-5 जुलाई, 2025) महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ जारी है।

अधिक भीड़ और मौसम से सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण दुर्भाग्य से हताहत और घायल हुए हैं।

दीघा में एक नए रथ के उद्घाटन ने उत्साह और परंपरावादी बहस का मिश्रण शुरू कर दिया है।

इस बीच, कोटिया जैसे छोटे समुदाय उद्घाटन समारोहों के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक पहचान बना रहे हैं।

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