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Maha Kumbh Mela 2025

Mahakumbh Mela 2025
Mahakumbh Mela 2025
भव्य महाकुंभ 2025 ड्रोन शो
भव्य महाकुंभ 2025 ड्रोन शो

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Mahakumbh Mela 2025
Mahakumbh Mela Date
Mahakumbh Mela 2025
Mahakumbh Mela 2025 Shri Narendra Modi [ India's Prime Minister ] and Yogi Adityanath [ Chief Minister Of Uttar Pradesh] at the Launch of. Prayagraj Mahakumbh 2025

प्रयागराज मे लगा इस 144 वर्ष बाद महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया

महाकुंभ में फ़रवरी 26, 2025 तक 66 करोड़ से ज़्यादा लोग आ चुके हैं भारत एक मात्र ऐसा देश बना जहाँ पर यह 144 वर्ष बाद दिव्य भव्य महाकुंभ 2025 का नज़ारा देखने दुनिया भर के लोग आ रहे है जहां पर इतने ज़्यादा लोग शामिल हुए हैं

प्रयागराज में 144 वर्षों के बाद आयोजित महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया।

इस दिव्य और भव्य आयोजन में दुनिया भर से लोगों की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे भारत एकमात्र ऐसा देश बना जहाँ इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चले इस महाकुंभ में केवल महाशिवरात्रि तक ही 65 करोड़ से अधिक लोग संगम में स्नान कर चुके थे।

इस आयोजन ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व लाभ पहुँचाया। सरकार और स्थानीय व्यवसायियों, विशेष रूप से होटल और दुकान owners, को भारी मुनाफा हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में एक स्थानीय नाविक की कहानी साझा की, जिसने भीड़ के कारण नाव सेवाओं की माँग का लाभ उठाया।

प्रयागराज के निवासी पिंटू महरा, जिनके पास 130 नावों का बेड़ा था (125 चप्पू वाली और 5 मोटर वाली), ने इस महाकुंभ के दौरान अनुमानित 30 करोड़ रुपये कमाए। उन्होंने अपने बेड़े का विस्तार करने के लिए परिवार की महिलाओं के गहने तक निवेश किए थे, जो एक सफल रणनीति साबित हुई। पिंटू की माँ, शुक्लावती देवी, ने बताया कि इस आय ने न केवल उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित कर दिया, बल्कि उन्हें अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने का अवसर भी मिला।

इस महाकुंभ मेला 2025 में पिंटू महरा ने 30 करोड़ नाव चला कर कमाया

Mahakumbh Mela 2025
महाकुंभ 2025 में पिंटू महरा ने नाविक ने 30 करोड़ कमाए

महाकुंभ ने अन्य नाविक परिवारों को भी समृद्धि दी, जिनमें से कई अपने ऋण चुकाने में सक्षम हो गए। इस आयोजन ने ऑटो चालकों, खाद्य विक्रेताओं और अन्य छोटे व्यवसाय owners के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाए।

आर्थिक प्रभाव: उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमानित ₹2 लाख करोड़ का राजस्व अर्जित किया।
स्थानीय व्यापारियों ने आवश्यक वस्तुओं की बिक्री से ₹17,310 करोड़ का अभूतपूर्व व्यापारिक लाभ अर्जित किया।
पर्यटन, परिवहन और हस्तशिल्प जैसे उद्योगों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

दुर्भाग्य से, भीड़ प्रबंधन में चुनौतियों के कारण हुई एक दुर्घटना के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक न्यायिक जाँच का आदेश दिया और प्रत्येक मृतक के परिवार को ₹25 लाख की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिक महत्व रखा, बल्कि इसने स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का भी अवसर प्रदान किया।

Mahakumbh Mela 2025
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2025 महाकुंभ के समाप्ति पर महाशिवरात्री के बाद शाम के टाइम 3 सुखोई ने हवा मे भगवान शिव का त्रिशूल की आकृति का दृश्य बनाये जो लोगों को बहुत आकर्षक बना रहा था
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Maha Kumbh Mela Nagri Prayagraj 2025

कुंभ मेला और संगम का इतिहास

कुंभ मेला और संगम का गौरवगाथा: एक पौराणिक इतिहास और आध्यात्मिक महत्व

प्रकाशित: PK Digital Online Services

भारत की आध्यात्मिक चेतना के केंद्र में स्थित, प्रयागराज का संगम और कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे गौरवशाली और पवित्र तीर्थों में से एक है। यह स्थान केवल नदियों का मिलन बिंदु नहीं, बल्कि चेतना, विश्वास और सनातन परंपरा का अद्भुत संगम है। आइए जानते हैं इसके इतिहास, पौराणिक महत्व और आधुनिक प्रासंगिकता के बारे में।

प्रयागराज संगम: तीर्थों का राजा

आधुनिक इलाहाबाद, जो अब प्रयागराज के नाम से जाना जाता है, हिंदुओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है। परंपरागत रूप से किसी भी नदियों के संगम को शुभ स्थान माना जाता है, किंतु प्रयागराज के संगम का महत्व सर्वोपरि एवं सबसे पवित्र है, क्योंकि यहाँ पवित्रतम गंगा नदी, यमुना नदी और पौराणिक सरस्वती नदी (जो अदृश्य रूप से बहती है) का त्रिवेणी संगम होता है।

कुंभ मेले का पौराणिक उद्गम और ऐतिहासिक महत्व

कुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की प्रसिद्ध पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन कर अमृत कलश (कुंभ) प्राप्त किया, तो उसे लेकर देवताओं और असुरों के बीच बारह दिनों तक भीषण संघर्ष हुआ। इस संघर्ष के दौरान, अमृत की कुछ बूँदें धरती के चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन पर गिरीं। यही कारण है कि इन चार पवित्र स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

इनमें से प्रयागराज के संगम को ‘तीर्थराज’ अर्थात ‘तीर्थों का राजा’ कहा जाता है। यहाँ प्रत्येक बारह वर्ष के बाद आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला सबसे बड़ा, सबसे पवित्र और सर्वाधिक भव्य होता है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

महाकुंभ मेला: एक असाधारण आयोजन का प्रबंधन

महाकुंभ मेला केवल एक मेला नहीं, बल्कि एक अस्थायी महानगर के निर्माण जैसा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जहाँ लाखों-करोड़ों तीर्थयात्री एक माह तक रहते हैं। इसके लिए एक विशाल तंबूनुमा नगर का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ (जल आपूर्ति, स्वच्छता, बिजली) प्रशासनिक और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम शामिल होते हैं। केंद्र सरकार, राज्य प्रशासन और पुलिस बल मिलकर इस पूरे आयोजन को शानदार ढंग से प्रबंधित करते हैं।

साधु-संतों और शाही स्नान की रोमांचकारी परंपरा

यह मेला विशेष रूप से साधु-संतों, नागा बाबाओं और अखाड़ों की भव्य उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है, जो दूर-दराज के जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं से यहाँ आते हैं। ज्योतिषियों द्वारा शाही स्नान (शुभ कुंभ योग) का समय निर्धारित करने के बाद, सबसे पहले नागा साधु ही अपने नग्न शरीर पर भस्म लगाकर और जटाएँ बढ़ाकर, पूरे वैभव और शौर्य के साथ संगम में डुबकी लगाते हैं। यह दृश्य अत्यंत ही रोमांचकारी और दुर्लभ होता है।

प्रयागराज संगम: दृश्य और अदृश्य का अद्भुत मेल

प्रयागराज संगम वह अद्भुत स्थान है जहाँ गंगा का भूरा जल, यमुना के हरे जल से मिलता है और इनके साथ ही अदृश्य सरस्वती नदी का पवित्र जल भी इसमें समाहित होता है। यह स्थान सिविल लाइंस से लगभग 7 किमी दूर है और यहाँ से अकबर का किला स्पष्ट दिखाई देता है। तीर्थयात्री संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना करते हैं।

अगला महाकुंभ मेला: 2025

सबसे recent महाकुंभ मेला 2013 में आयोजित किया गया था। इसके बाद, अगला महाकुंभ मेला 2025 में प्रयागराज, संगम तट पर ही आयोजित होगा, जो 144 वर्षों के एक चक्र के बाद लगने वाला एक और भी more special ‘महा’ आयोजन माना जा रहा है। दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर अपनी आस्था की डुबकी लगाने यहाँ एकत्रित होंगे।

Mahakumbh Mela 2025

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महाकुंभ मेला 2025: इतिहास, महत्व और पौराणिक कथा | Mahakumbh Mela 2025

महाकुंभ मेला 2025 (Mahakumbh Mela 2025) विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागमों में से एक है, जो भारत की सनातन संस्कृति और अटूट आस्था का प्रतीक है। यह मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि करोड़ों लोगों की श्रद्धा, विश्वास और सामूहिक ऊर्जा का केंद्र भी है।

महाकुंभ मेला: विश्व का सबसे बड़ा मानव समूह
कुम्भ मेला दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम है, जहाँ आस्था, spirituality और सांस्कृतिक विरासत का अनूठा संगम देखने को मिलता है। लगभग 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने आते हैं।

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Mahakumbh Mela 2025
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Mahakumbh Mela 2025

प्रयागराज: 600 ईसा पूर्व में एक राज्य था जिसका हिस्सा वर्तमान प्रयागराज जिला था। उस राज्य को ‘वत्स’ के नाम से जाना जाता था और उसकी राजधानी ‘कौशाम्बी’ थी, जिसके अवशेष आज भी प्रयागराज के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।

गौतम बुद्ध ने भी अपनी तीन यात्राओं से इस शहर को सम्मानित किया था। इसके बाद, यह क्षेत्र मौर्य शासन के अधीन आ गया और कौशाम्बी को ‘अशोक’ के एक प्रांत का मुख्यालय बनाया गया। उनके निर्देश पर कौशाम्बी में दो अखंड स्तंभ बनाए गए

जिनमें से एक को बाद में प्रयागराज में स्थानांतरित कर दिया गया। प्रयागराज राजनीति और शिक्षा का केंद्र रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था।

इस शहर ने देश को तीन प्रधानमंत्रियों सहित कई राजनीतिक हस्तियाँ दी हैं। यह शहर साहित्य और कला के साथ-साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का भी केंद्र रहा है।
प्रयागराज में पर्यटन स्थल:
1 संगम
2 शंकर विमान मंडपम
3 वेणी माधव मंदिर
4 संकटमोचन हनुमान मंदिर
5 मनकामेश्वर मंदिर
6 भारद्वाज आश्रम
7 विक्टोरिया मेमोरियल
8 तक्षकेश्वर नाथ मंदिर
9 अक्षयवट
10 शिवकुटी
11 नारायण आश्रम
12 पत्थर गिरजाघर
13 प्रयागराज किला
निकटवर्ती आकर्षण:
1 विंध्याचल • चित्रकूट
2 वाराणसी अयोध्या
3 श्रृंगवेरपुर
4 ललिता देवी मंदिर
5 आनंद भवन
6 प्रयाग संगीत समिति
7 इलाहाबाद विश्वविद्यालय
8 सार्वजनिक पुस्तकालय
9 गंगा पुस्तकालय
10 श्री अखिलेश्वर महादेव मंदिर
11 दशाश्वमेध मंदिर
12 नागवासुकी मंदिर
13 अलोपी देवी मंदिर
14 खुसरोबाग
15 मिंटो पार्क
16 कल्याणी देवी
17 काली बाड़ी
Mahakumbh Mela 2025
Mahakumbh Mela 2025
मुख्य स्नान पर्व महाकुम्भ 2025: [मुख्य स्नान पर्व]
पौष पूर्णिमा 13.01.2025
मकर संक्रांति 14.01.2025
मौनी अमावस्या 29.01.2025
बसंत पंचमी 03.02.2025
माघी पूर्णिमा 12.02.2025
महाशिवरात्रि 26.02.2025

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mahakumbh mela 2025 मुख्य स्नान पर्वों पर प्रतिबंध
कुंभ मेले के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और उनकी सुगम निकासी के लिए रेलवे स्टेशनों पर कुछ प्रतिबंध लगाए जाएंगे। प्रतिबंध मुख्य स्नान दिवस के एक दिन पहले से मुख्य स्नान दिवस के दो दिन बाद तक लागू रहेगा।

मुख्य स्नान पर्व प्रतिबंध अवधि

1. पौष पूर्णिमा
13.01.2025
12.01.2025(00:00 बजे) से 16.01.2025 (24:00 बजे)


2.मकर संक्रांति
14.01.2025


3.मौनी अमावस्या
29.01.2025
28.01.2025(00:00 बजे) से 31.01.2025 (24:00 बजे)


4.बसंत पंचमी
03.02.2025
02.02.2025(00:00 बजे) से 05.02.2025 (24:00 बजे)


5.माघ पूर्णिमा
12.02.2025
11.02.2025(00:00 बजे) से 14.02.2025 (24:00 बजे)


6.महाशिवरात्री
26.02.2025
25.02.2025(00:00 बजे) से 28.02.2025 (24:00 बजे)


प्रतिबंध अवधि के दौरान
प्रयागराज जंक्शन

प्रवेश केवल सिटी साइड (प्लेटफ़ॉर्म नं.1 की ओर) से दिया जाएगा।

निकास केवल सिविल लाइंस साइड की ओर से दिया जाएगा।
अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।

टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

आरक्षित यात्रियों को सिटी साइड से गेट नंबर 5 के माध्यम से अलग से प्रवेश दिया जाएगा।


नैनी जंक्शन

प्रवेश केवल स्टेशन रोड से दिया जाएगा।
निकास केवल मालगोदाम की ओर (द्वितीय प्रवेश द्वार) से दिया जाएगा।
अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
आरक्षित यात्रियों को गेट नंबर 2 से प्रवेश दिया जाएगा।

टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर ए.टी.वी.एम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी।

प्रयागराज छिवकी स्टेशन
प्रवेश केवल प्रयागराज मिर्जापुर राजमार्ग को जोड़ने वाले सीओडी मार्ग से दिया जाएगा।

निकास केवल जी.ई.सी नैनी रोड (प्रथम प्रवेश) की ओर से दिया जाएगा।
अनारक्षित यात्रियों कों दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।
आरक्षित यात्रियों को गेट नंबर 2 से प्रवेश दिया जाएगा।

Mahakumbh mela 2025 मे रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध सुविधाएं
1. वेटिंग रूम और वेटिंग हॉल।
2. स्लीपिंग पॉड्स।
3. रिटायरिंग रूम/डॉरमेट्री।
4. एग्जीक्यूटिव लाउंज ।
5. बुजुर्गों/दिव्यांगों के लिए प्लेटफॉर्म पर आवागमन हेतु बैटरी चालित करें
6. व्हील चेयर ।
7. रेलवे स्टेशन के बाहर सार्वजनिक परिवहन ।
8. खानपान सुविधा।
9. प्राथमिक चिकित्सा बूथ।
10. पर्यटक बूथ।
11. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र
12. बहुभाषी घोषणा का प्रावधान।
13. यात्री सुविधा केंद्र
14. क्लॉक रूम ।
नोट मुख्य स्नान दिवसों पर आवागमन प्रतिबंध के कारण इनमें से कुछ सुविधाएं अनुपलब्ध हो सकती हैं |
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महाकुंभ मेला 2025, 14 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। इस पवित्र आयोजन की शाही स्नान तिथियाँ, आवास विकल्प, और इसके गहन आध्यात्मिक महत्व के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

महाकुंभ मेला 2025: प्रयागराज में आयोजित होने वाला एक विश्वस्तरीय आध्यात्मिक महोत्सव

महाकुंभ मेला 2025, विश्व के सबसे बड़े और सबसे पवित्र आध्यात्मिक समागमों में से एक, 14 जनवरी से 26 फरवरी तक पवित्र नगरी प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। यह अद्वितीय आयोजन, जिसमें दुनिया भर के करोड़ों तीर्थयात्री, साधु-संत और आध्यात्मिक साधक शामिल होते हैं, सनातन संस्कृति की जीवंतता और शाश्वतता का प्रतीक है। 2019 में आयोजित पिछले कुंभ की तुलना में, इस वर्ष के मेले को और अधिक भव्यता, बेहतर व्यवस्था और अभूतपूर्व पैमाने पर आयोजित किए जाने की उम्मीद है।

महाकुंभ मेला 2025 की प्रमुख विशेषताएँ

शाही स्नान की पवित्र तिथियाँ
महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण हैं शाही स्नान की शुभ तिथियाँ। इन पवित्र अवसरों पर विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों का भव्य और ऐतिहासिक जुलूस निकालकर पवित्र नदियों में स्नान करना एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। इस वर्ष की प्रमुख तिथियों में 12 फरवरी, 2025 को माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है।

विविध आवास सुविधाएँ
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान तीर्थयात्रियों की every need को ध्यान में रखते हुए हर बजट के अनुकूल आवास की व्यवस्था की गई है। आप आर्थिक रूप से अनुकूल शिविरों (tents) से लेकर विलासितापूर्ण (luxury) होटलों तक में ठहरने का विकल्प चुन सकते हैं।

निर्देशित पर्यटन एवं सांस्कृतिक अनुभव
महाकुंभ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव को और भी समृद्ध बनाने के लिए निर्देशित पर्यटन (guided tours) की सुविधा उपलब्ध है। इनके माध्यम से आप मेले की गहराई को समझ सकते हैं, विभिन्न साधनाओं और योग सत्रों में भाग ले सकते हैं और एक अमूल्य आध्यात्मिक जुड़ाव (spiritual engagement) अनुभव कर सकते हैं।

गहन आध्यात्मिक महत्व
महाकुंभ मेला केवल एक मेला नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का एक पर्व है। ऐसी मान्यता है कि इस अवसर पर पवित्र त्रिवेणी संगम – गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के जल में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यह स्वयं को दिव्य ऊर्जा में विसर्जित करने का एक अद्वितीय अवसर है।

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